नशीली हो उठे फिर भोर नशीली हो उठे फिर भोर
और निःश्वासों में अब भी है खुशबू परिमल जैसी ही ! और निःश्वासों में अब भी है खुशबू परिमल जैसी ही !
अब उन खाली पन्नों में नए-नए रंग भरना है, किया नहीं जो बचपन में वो सब कुछ अब करना है।। अब उन खाली पन्नों में नए-नए रंग भरना है, किया नहीं जो बचपन में वो सब कुछ अब...
लेकिन जो चाहा अगर वो ही नहीं मिला तो क्या करें। लेकिन जो चाहा अगर वो ही नहीं मिला तो क्या करें।
एक सज्जन बहादुरी की, हांकते रहते डींगें थे अपनी शेखी की हर पल, बढ़ाते रहते पींगें थे एक सज्जन बहादुरी की, हांकते रहते डींगें थे अपनी शेखी की हर पल, बढ़ाते रहते पी...
हम मिल गए, गर्त में राह तुम्हारी, तकते हुए पर तुम्हारे, दीदार का नज़ारा तो,ना मिला। हम मिल गए, गर्त में राह तुम्हारी, तकते हुए पर तुम्हारे, दीदार का नज़ारा...